Tuesday 21 September 2021

सलीका !

कुछ इस तरह सलीके से जीने की कोशिश कर रहा हूँ
मैं अपने कमरे में हर टूटी हुई चीजें जोड़कर रख रहा हूँ।

टूटा बिखरा मेरा ये दिल है जिसको फिर से सँवार रहा हूँ
कुछ नहीं अब और टूटने को इसलिए बेख़ौफ़ चल रहा हूँ।

गँवा कर क़ीमती चीजों को दुःख तो बहुत हो रहा लेकिन 
मैं अभी भी ज़िन्दा हूँ और बस इसी की ख़ुशियाँ मना रहा हूँ।

©️®️टूटा दिल/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२१.१२.२०२१

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