वैसे तो एक और एक मिलकर दो होते हैं पर तुम्हारे और मेरे रिश्ते की गणित भी अजब है !
यहाँ…..
तुम भी “एक”, मैं भी “एक” और हम दोनों मिलकर भी “एक”!
शायद इस एक के अलावा जो “एक” अदृश्य है वही प्यार है।
या
मुझमें और तुझमें जो अनचाही/ग़ैर-ज़रूरती/नापसंद, चीज़ें/आदतें/इच्छाओं को त्याग कर जो कुछ भी हम दोनों में कम हुवा था उसे हम दोनों ने मिलकर पूरा कर दिया और फिर सदा के लिए “एक”हो गए।
वैसे प्यार गणितीय तर्कों को नहीं मानता और मेरा रसायन शास्त्र कमजोर है, इसलिए गणितीय फेरों में उलझा हुवा हूँ। वैसे हमारे रिश्ते की ऊपर की हुयी गणितीय व्याख्या भी कम व्यापक नहीं है।
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©️®️एक/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/३०.०९.२०२१
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