आज फिर तेरी याद आई........
आसमाँ में इन बादलों ने न जाने कैसा रूप बनाया है ,
ठंडी हवाओं ने भी कोई षड़यंत्र रचाया
है ,
बारिश की इन बूंदों ने न जाने किस तरह
छुवा मुझको ,
कि तेरी याद अज कुछ ज्यादा ही आई |
आज फिर तेरी याद आई........
पूरा दिन दुनिया की दुनियादारी में
गुजरा ,
नहीं पता कब बीता ये दिन और कहाँ होगा बसेरा ,
जब इस व्यस्त समय से मिला थोडा सा समय
,
लो हो गयी शाम और फिर तेरी याद आई |
आज फिर तेरी याद आई.......
यूँ तो तुझे हम भूले न थे कभी ,
किसी कोने में नहीं पूरे दिल में हो
अभी ,
है दूर बहुत तू मगर दिल के नजदीक है ,
कैसे बताऊँ तुझे कि फिर तेरी याद आई |
आज फिर तेरी याद आई.......
डराती हैं मुझे ये घड़ियों का
टिक-टिकाना ,
नहीं पसंद मुझे तेरे बिना एक पल
बिताना ,
लाख कोशिशों के बाद भी खुद को न रोक
पाया ,
आ गया मुझको रोना जब तेरी याद आई |
आज फिर तेरी याद आई........