Monday 14 February 2022

नीलिमा जी 😍🥰😘🌹

 नीलिमा जी ……🌹


ये पंक्तियाँ ताज़ा-२ सिर्फ़ आप के लिए 💐


नोट- बाकी के प्रेमी युगल सुविधानुसार इन पंक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं।


………………………………


नींद भला कैसे आए 

जब सामने तू हो !


दरिया शांत कैसे हो 

जब साहिल तू हो !


सम्भालूँ कैसे हसरतों को 

जब बग़ल में तू हो !


बहकना मेरा कब बुरा है 

जब नशा तेरा हो !


कदम तेज कैसे रखूँ

जब सफ़र में संग तू हो !


मंज़िल किसे, क्यूँ चाहिए 

जब हासिल तू हो !


फ़रवरी १४ हो या १५, क्या फर्क़

जब मोहब्बत तू हो !


……………………………………


©️®️वैलेंटाइन डे/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१४.०२.२०२२



Saturday 12 February 2022

दिलों की दिल्ली

लोग कहते हैं कि दिल्ली जाने के नाम पर हम खुश बहुत होते हैं,

चेहरे पर मुस्कान संग हम अपने लिखने का शौक़ लेकर आयें हैं।


बहुत दिन से सोच रहे थे कि दिल में कोई ख़याल क्यूँ नहीं आता

दिलों के शहर में दिल की कहानी लिखने का बहाना ढूँढने आएँ हैं।


लखनऊ की नवाबी लेकर हम दिल्ली का दिल देखने आएँ हैं,

क़िस्से कहानियों में बूढ़ी दिल्ली को फिर से जवानी देने आएँ हैं।


कितनी कहानियाँ हर वक्त बनती हैं बस तुम्हें कोई खबर नहीं,

एक बस तुम हाँ कर दो तो एक नयी कहानी हम लिखने आए हैं।


©️®️दिलों की दिल्ली/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/ १२.०२.२०२२


#delhi #lucknow #story #love #anunaad #anand




Saturday 22 January 2022

चले जाना!


तुम जाना !

तो बस,

चले जाना…..

बिना बताए

अचानक

खामोशी से 

ऐसा कि

भनक भी न मिले।


दुःख तो होगा

तुम्हारे जाने का

मगर 

वो जाने के बाद होगा

और कम होगा 

उस दुःख से

जब मुझे 

तुम्हारे जाने का

पहले से 

पता होगा!


क्यूँकि 

पहले से

पता होने पर

दुःख ज़रा पहले 

से शुरू होगा

और

इस तरह 

दुःख की अवधि

कुछ बढ़ जाएगी।


©️®️चले जाना/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२२.०१.२०२२


Tuesday 18 January 2022

उथल-पुथल

इस ज़िन्दगी में उथल-पुथल कुछ ऐसी ही है,
क्या करें कि इसमें ख़ूबसूरती भी तो इसी से है ।

©️®️उथल-पुथल/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/ १८.०१.२०२२




फ़ितरत

ये एक फ़ितरत मैंने खुद पाली है या उस खुदा ने दी, 
फ़ायदा छोड़ मैंने सदा अपनी पसंद को तरजीह दी।

हुए कई घाटे मुझे, कभी मैं तो कभी ये लोग कहते हैं,
मगर जाने-अनजाने इस आदत ने मुझे ख़ुशी बहुत दी।

©️®️फ़ितरत/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/ १८.०१.२०२२

Sunday 9 January 2022

सफ़र की बारिश

जीवन के इस प्रेम सफ़र में तू
इन बूँदों सी झर-झर झरती है 
इक आग दहकती नित मुझमें
तू ठंडक सी भीतर उतरती है।

दूर नहीं है मुझसे कभी
तू मुझमें ही तो रहती है 
आदतन ये आँखे मेरी तुझे देखने को 
मन की खिड़की से अंदर झाँका करती है।

इक ठिठुरन सी मुझमें उठती है
गुनगुनाहट की चाहत उठती है 
खुद को समेट कस लूँ तुझको 
कुछ ऐसे भी गर्माहट मिलती है। 

जो भीतर है मेरे हर मौसम उससे
पूरे बरस मुझमें सावन झरती है 
लाख गुजर रही हो ये ज़िन्दगी पर
तुझ पर पुरज़ोर जवानी रहती है।

सफ़र बीत रहा मंज़िल है आने को
विचलित मन ये कोई तो हो मनाने को
मंज़िल के बाद भी सफ़र जारी है रखना
कोई मन-माफ़िक़ साथी हो ये बताने को।

जीवन के इस प्रेम सफ़र में तू
इन बूँदों सी झर-झर झरती हो
इक आग दहकती नित मुझमें
तू ठंडक सी भीतर उतरती हो।

©️®️सफ़र की बारिश/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०९.०१.२०२२

  #रेलगाड़ी #बारिश #सफ़र #अनुनाद #हमाफ़र #प्रेम




Tuesday 4 January 2022

चौराहा और ढलती शाम!

ढलती शाम 
और ये चौराहा…
दिल में बेचैनी 
मन में उम्मीद भी !

शाम ढल गयी 
तुम अभी आए नहीं…
दिल घबराए कि
तुम आओगे या नहीं !

उम्मीद ये है कि 
तुम अगर आए कभी…
चौराहे पर हूँ ताकता खड़ा कि
यहाँ से तो गुज़रोगे ही !

ढलती शाम 
और ये चौराहा…
दिल में बेचैनी 
मन में उम्मीद भी !

©️®️चौराहा और ढलती शाम/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०४.०१.२०२२