Monday 9 December 2019
Thursday 28 November 2019
Tuesday 12 November 2019
बस तू ही तू ...
ये रात, ये गुफ़्तगू, और ये दिलों की कसक,
तेरा नाम, तेरी बात और बस तू ही तू ।
ये हसरतें, ये आरज़ू, और ये सारी हक़ीक़त,
तेरी तस्वीर, तेरा अक़्स और बस तू ही तू।
ये चाँद, ये चाँदनी, और ये ठंडी बयार,
तेरा एहसास, तेरी ख़ुशबू और बस तू ही तू ।
ये जोड़, घटाना, गुणा, भाग और ये सारी गणित,
तेरा ही योग, तेरा ही शेष और बस तू ही तू ।
ये यादें, ये तनहाई, ये अकेले में रोना,
तेरे दिए घाव, तेरा दिया दर्द और बस तू ही तू।
ये मुस्कुराना, ये खिलखिलाना, ये तुझसे मुलाक़ातें,
मेरा कंधा, तेरी ख़ुशबू और बस तू ही तू।
Sunday 27 October 2019
इस बार दिवाली ऐसी हो ...
हे प्रभु!
इस बार दिवाली मेरी ऐसी हो ...
घर से जब मैं बाजार को निकलूँ,
कार में बैठूँ तो तेल की टंकी फुल हो,
और दुआ इतनी कि जब रेड सिग्नल पर रुकूँ,
सामने बच्चा लिये कोई मां हाथ न फैलाये हो ।
हे प्रभु!
इस बार दिवाली मेरी ऐसी हो ...
बाज़ार सजे हों रंग बिरंगे,
जम कर शॉपिंग करूँ बिना थके,
ख्वाहिश इतनी कि किसी कपड़े की दुकान के बाहर,
कोई भी तेरा बन्दा, फटे चीथड़ों में न दिखे ।
हे प्रभु!
इस बार दिवाली मेरी ऐसी हो ...
खेल खिलौने जी भर कर लूं,
अपने बच्चों को खुशियाँ भरपूर दूँ,
पर करम तेरा इतना हो मौला कि जब दुकान से निकलूँ,
सामने कोई बच्चा गुब्बारे बेचता न मिले।
हे प्रभु!
इस बार दिवाली मेरी ऐसी हो ...
वो देखो इमरती देख जीभ लपलपाई,
न जाने कितनी तरह-2 की मिठाई,
प्रभु मीठा भले ही कम खाने को मिले,
पर संसार में पेट किसी का न भूखा हो।
हे प्रभु!
इस बार दिवाली मेरी ऐसी हो ...
हर घर दीप जले हर घर रोशनी हो,
रोशनी इतनी कि न कहीं अंधेरा हो,
दिवाली तो रोशन मैं तब समझूँगा ऐ मेरे मालिक,
जब हर किसी की आंखों में दिए सी चमक हो।
हे प्रभु!
इस बार दिवाली मेरी ऐसी हो ...
दिवाली में पूजन के बाद हे प्रभु बस इतनी अरदास,
देना सब को सब कुछ न छूटने पाए किसी की आस,
काम आऊं सभी के कि इतना काबिल मुझे तू बनाना,
कोई उम्मीद से देखे मेरी तरफ तो न बोल पाऊं उसे ना।
हे प्रभु!
इस बार दिवाली मेरी ऐसी हो ...
Sunday 13 October 2019
परिचय!
सोचता हूँ तुम्हारे सवालों का क्या जवाब दूं ?
बेबुनियाद बातों को मैं क्यों बुनियाद दूं।
तहज़ीब के शहर से हूँ मैं
तहज़ीब ख़ूब रखता हूँ,
और अगर ज़्यादा दुष्टयी आयी तुमको,
तो मैं कान के नीचे भी ख़ूब रखता हूँ ।
मैं दुनिया से नही डरता बिलकुल,
केवल अपने ग़ुस्से से डरता हूँ ।
अपनों के सिलों से घायल हुवा हूँ,
न छेड़ मुझे, मैं बड़ी ज़ोर से काटता हूँ ।
ख़ुद की ख़ोज....
ख़ुद में ख़ुद की खोज को ख़ुद से ख़ुद ही दूर जा रहा हूँ मैं,
अब तो ख़ुद खुदा की खुदायी भी मुझे ख़ुद से मिला नही सकती ।
ख़ुद में ख़ुद को खोजता हूँ, तो बस तुमको ही पाता हूँ,
मैं ख़ुद में ख़ुद को कैसे पाऊँ, मैं तो बस तुझमें खोया हूँ ।
मेरा ख़ुद का कोई रंग नही पानी सी सीरत मैं रखता हूँ ,
चढ़ गया रंग तेरा और मैं मूर्ख इसमें ख़ुद को ढूँढता हूँ।
Saturday 5 October 2019
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