चाँद की दीद मुबारक,
सभी को ईद मुबारक ।
कोरोना में दो गज की दूरी बनी रहे,
मगर दिलों की दूरी में कमी बनी रहे।
अब तुमको और क्या बताएँ यार सामने कितनी बड़ी मजबूरी है,
अगली ईद पर तुमसे गले मिल सकें इसलिए इस बार ये दूरी है।
क्या हुवा जो इस बार हम तुम गले न मिल सके ,
इस बार तेरे नाम की सिवई हमारी रसोई में ही पके ।
सिंवई इस बार हम थोड़ा ज़्यादा मीठी बनाएँगे,
तेरे मेरे रिश्ते की मिठास हम कुछ यूँ बढ़ायेंगे ।
ईद मुबारक ......
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