Tuesday, 5 May 2020

बारिश और तुम...

ये बारिश तुम सी बरसती है!
कभी भी....
मैं निहारता रहता इसको लगातार,
जैसे भीगे बालों में सामने तुम हो!

ये बारिश शोर करती है!
बहुत ज्यादा ....
मैं खामोश सुनता रहता इसको ध्यान से,
जैसे गुस्से में आंख मूँदकर हाथ पैर झटकती तुम हो!

तुम्हारे साथ का एहसास सा होता!
ठहरना....
जरा देर तक बरसना,
अच्छा लग रहा है....
बहुत ही अच्छा लग रहा है।


No comments:

Post a Comment