Friday, 16 July 2021

सवाल....!

तुम बिना बोले बहुत कुछ बोल सकते थे 
मेरे सवालों पर मुस्कुरा तो सकते थे….

चलो माना कि उस पल ख़ामोश रहना मजबूरी थी 
लेकिन बहाना बाद में कोई बना तो सकते थे….

मंज़िले अलग थी हमारी, दूर होना भी ज़रूरी था 
मगर दुबारा लौटकर आ तो सकते थे….

कहते हैं दुनिया बहुत छोटी और तुम बनारस में हो
चाहते अगर तो लखनऊ आ तो सकते थे….

चाहत थी छूने की, अपने बाहों में भर लेने की
तुम लौटकर बस गले मिल तो सकते थे….

एक पल को माना कि ज़िद मेरी जायज़ न थी 
तुम एक हाँ से जायज़ बना तो सकते थे….

तुम बिना बोले बहुत कुछ बोल सकते थे 
मेरे सवालों पर मुस्कुरा तो सकते थे….

©️®️सवाल/अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१६.०७.२०२१

1 comment:

  1. बहुत ही सुन्दर लाइने

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