देखा सुना और बहुत जाना है तुझको,
हर पल ख्यालों में मैंने बुना है तुझको,
बस कर कि अब बहुत हुयीं दूरियां तुझसे,
और नहीं संभलता सब्र का ये बांध मुझसे,
पा लूँ ! छू लूँ !
और कस लूँ तुझे अपनी इन बाँहों में,
तेरा सर हो मेरे सीने पर और तेरी खुशबू मेरी सांसों में,
धडकन से धडकन की हो बातें और लब रहे खामोश,
खो जाएँ एक दूजे में और न रहे सही गलत
का होश,
आ लग जा गले कुछ इस कदर कि न हो इस दुनिया की फिक्र,
रहे न वक़्त का होश और न ही हो कोई ज़िक्र-ए-हिज्र ।
Happy Hug Day KHUSHI28.05.2013
:)