Thursday, 26 December 2019

मर्ज-ए-इश्क़!

साँसों का तेज होना भी एक कहानी है,
और तुम समझे कि ये प्रदूषण की निशानी है।

गर्म और ठंडी साँसे प्यार को नापने की S.I. परिभाषा है,
और तुम नासमझ समझ बैठे कि ये बुखार बेतहाशा है।

इन धड़कनों के बढ़ने से न समझो कि कोई बीमारी है,
ये लाल गाल क्या बताएं उनकी उंगलियों की निशानी है।

कोशिशें बेहद जारी है कि उनसे कुछ बात बढ़ जाए,
इस टेंशन में भले ही इस दिल का रक्तचाप बढ़ जाए।

कमजोरी नही है कि जब गला सूखे और टांगे कापती है,
ये हमेशा का है जब बला सी खूबसूरत वो सामने आती हैं।

बेचैनी में ऐसे बड़बड़ाते हैं जैसे मनोरोगी हो गए हैं,
क्या बतायें उनसे मुलाकात को न जाने कितने दिन हो गए हैं।

कोई मर्ज नही फिर भी मरीजों से हो गए हैं,
वो ही मर्ज, वो ही दवा और वो ही मेडिकल स्टोर हो गए हैं।

कोई जल्दी नही...

कोई जल्दी नही है
कुछ और नया हासिल करने की,
मुझे फ़ुर्सत नही है
किसी भाग दौड़ में शामिल होने की, 
ये भी क्या बात हुयी
अभी आए हो और बातें करते हो जाने की,
शाम को रोक लिया है मैंने
इजाज़त चाहिए तुमसे महफ़िल सजाने की,
चलो मुस्कुरा भी दो 
रोशन कर दो शमाँ, ज़रूरत अब उजाले की,
मुमकिन है कि अब मुलाक़ात फिर न हो
दिल खोल कर मिलो, न बातें करो जुदाई की,
अभी व्यस्त हूँ जीने में,
कल क्या होगा नही कोई अब फ़िक्र इसकी,
आओ लग जाओ गले कि
कोशिश है इन पलों को मुकम्मल करने की।

Tuesday, 12 November 2019

बस तू ही तू ...

ये रात, ये गुफ़्तगू, और ये दिलों की कसक,
तेरा नाम, तेरी बात और बस तू ही तू ।

ये हसरतें, ये आरज़ू, और ये सारी हक़ीक़त,
तेरी तस्वीर, तेरा अक़्स और बस तू ही तू।

ये चाँद, ये चाँदनी, और ये ठंडी बयार,
तेरा एहसास, तेरी ख़ुशबू और बस तू ही तू ।

ये जोड़, घटाना, गुणा, भाग और ये सारी गणित,
तेरा ही योग, तेरा ही शेष और बस तू ही तू ।

ये यादें, ये तनहाई, ये अकेले में रोना,
तेरे दिए घाव, तेरा दिया दर्द और बस तू ही तू।

ये मुस्कुराना, ये खिलखिलाना, ये तुझसे मुलाक़ातें,
मेरा कंधा, तेरी ख़ुशबू और बस तू ही तू।

Sunday, 27 October 2019

इस बार दिवाली ऐसी हो ...

हे प्रभु! 
इस बार दिवाली मेरी ऐसी हो ...

घर से जब मैं बाजार को निकलूँ,
कार में बैठूँ तो तेल की टंकी फुल हो,
और दुआ इतनी कि जब रेड सिग्नल पर रुकूँ,
सामने बच्चा लिये कोई मां हाथ न फैलाये हो ।
हे प्रभु! 
इस बार दिवाली मेरी ऐसी हो ...

बाज़ार सजे हों रंग बिरंगे,
जम कर शॉपिंग करूँ बिना थके,
ख्वाहिश इतनी कि किसी कपड़े की दुकान के बाहर,
कोई भी तेरा बन्दा, फटे चीथड़ों में न दिखे ।
हे प्रभु! 
इस बार दिवाली मेरी ऐसी हो ...

खेल खिलौने जी भर कर लूं,
अपने बच्चों को खुशियाँ भरपूर दूँ,
पर करम तेरा इतना हो मौला कि जब दुकान से निकलूँ,
सामने कोई बच्चा गुब्बारे बेचता न मिले।
हे प्रभु! 
इस बार दिवाली मेरी ऐसी हो ...

वो देखो इमरती देख जीभ लपलपाई,
न जाने कितनी तरह-2 की मिठाई,
प्रभु मीठा भले ही कम खाने को मिले,
पर संसार में पेट किसी का न भूखा हो।
हे प्रभु!
इस बार दिवाली मेरी ऐसी हो ...

हर घर दीप जले हर घर रोशनी हो,
रोशनी इतनी कि न कहीं अंधेरा हो,
दिवाली तो रोशन मैं तब समझूँगा ऐ मेरे मालिक,
जब हर किसी की आंखों में दिए सी चमक हो।
हे प्रभु! 
इस बार दिवाली मेरी ऐसी हो ...

दिवाली में पूजन के बाद हे प्रभु बस इतनी अरदास,
देना सब को सब कुछ न छूटने पाए किसी की आस,
काम आऊं सभी के कि इतना काबिल मुझे तू बनाना,
कोई उम्मीद से देखे मेरी तरफ तो न बोल पाऊं उसे ना।
हे प्रभु! 
इस बार दिवाली मेरी ऐसी हो ...