Friday, 1 May 2020

किसान ...

जब आई कोरोना महामारी तो हमें याद आया,
जीने को जरूरी है केवल भोजन ये याद आया,
बन्द घरों में बैठकर धन्यवाद देने को थाली बजाया,
दिया जलाते समय मगर हमको किसान न याद आया।

अधनंगा बदन, सिकुड़ी खाल में ये इंसान कौन?
किसानों की इस हालत का जिम्मेदार कौन?
अन्न देने वाले किसान के घर में नही है तेल-नोन,
कर्ज में फाँसी लगाने पर हम-तुम क्यों रहते मौन?

डॉक्टर-इंजीनियर, पुलिस-वकील न जाने क्या-क्या,
सब कुछ बनाओगे बच्चों को मगर किसान नही बनाओगे,
इन सबकी भी जरूरत है प्रगति के लिए देश को,
मगर जिन्दा रहने को जरूरी भोजन कहाँ से लाओगे?

विश्व गुरु बनने को तुम धन उगाने के तरीके खूब पैदा करो मगर,
सुनो बदलते इस दौर में हमें अब पुनः बेसिक पर लौटना होगा,
हे भारत माता तूने इस धरती से कितने ही वीरों को जाया होगा,
मगर जीवित रहने को अब, घर-घर में किसान पैदा करना होगा।

आज नहीं तो कल वैक्सीन भी बनेगी,
ज़िन्दगी पुनः तेज रफ्तार में भी दौड़ेगी,
आधुनिकता में मत भूलना मिली जो सीख कि,
उन्नति की सड़क तो उन्नत किसान से ही बनेगी।

Thursday, 30 April 2020

कैदी (इरफ़ान ख़ान को समर्पित)

मैं एक कैदी 
इस शरीर में,
लोग कहते
कैद ही रहूँ...
तो बेहतर!
आजाद न होने की,
मांगते सभी दुवाएँ...
कैद हो लंबी,
देते रहते दाना-पानी,
शरीर रूपी जेल की
करते रंग रोगन,
लेकिन कब तक?
कैद किसे पसन्द?
होना तो है,
एक दिन आज़ाद...
वो दिन 
जश्न का होगा!
मेरे लिए, 
आज़ाद होना,
कैद से।
नही रहूँगा तब,
मैं,
कैदी।

Wednesday, 29 April 2020

सरकारी कर्मचारी...

वैज्ञानिक परेशान हो गए मगर देखो 
बिना तेल के गाड़ी वो चला न पाए।
हमने भी दिया सुझाव अपने दोनो हाथ उठाय,
आओ तुमको अपनी सरकर से मिलवाया जाय।

उदाहरण साक्षात तुम्हारे मौजूद है,
तुम कहाँ घूम रहे हो सर खुजलाए।
बिना अतिरिक्त वेतन के इस सरकार ने,
सरकारी कर्मचारियों से कितने काम कराए।

न ही धन्धा कोई और न ही हम बड़े व्यापारी हैं, 
महीने की तनख़्वाह पर जीते हम सरकारी कर्मचारी हैं।
किस्तें भरते, फ़ीस भरते, थोड़ी-थोड़ी बचत भी करते,
सालों का हमने बचाया नही हम तो बस महीनों में जीते।

डीए काटा, भत्ते काटे,और न जाने क्या-२ कटेगा,
तनख़्वाह भी बढ़ेगी या केवल चूतिया ही कटेगा।
थोड़ी क्यूँ पूरी ही काट ली जाए, सैलरी हमें दी ही क्यूँ जाए,
आओ छोड़ कर गृहस्थ आश्रम हम सब वनवासी हो जाएँ ।

क़सम से उफ़्फ़ नही करेंगे अगर,
एक छोटी सी अर्ज़ सुन ली जाए ।
जहाँ सबके क़र्ज़ अरबों में माफ़ हो रहे 
वहीं एक लोन हमारा भी माफ़ हो जाए।

Sunday, 26 April 2020

मुस्कान 😊

हाँ ! तुम भी तो बिल्कुल यूँ ही मुस्कुराती हो...
जैसे इन पत्तों पर बारिश की बूँदे।
तुम हमेशा पूछते हो न कि
मैने तुममे ऐसा क्या देखा?
और मैं कहता हूं कि तुम्हारी मुस्कान!
कैसी है मेरी मुस्कान?
तो तुम भी तो देखो न
इन पत्तों पर बारिश की बूँदे....
देखो न !

#nilima

Thursday, 23 April 2020

कीमत नाम की!

इतिहास मजबूत होना चाहिए, चाहे आपके आज का भूगोल कैसा भी हो ।
पीछे की बुराइयों को बदलो मगर, अपने अग्रजों का गौरव बखान जारी रखें ।। 

तुम आज आये हो दुनिया में, अभी समय लगेगा अपना कद बनाने में ।
पुरखों के नाम से ही है पहचान तेरी, उनके नाम का सम्मान बनाये रखें ।।

नाम की शक्ति से होते हैं सारे काम, बाहुबल तो बस दिखाने को होता है ।
सर झुकते हैं झुकते रहेंगें, बस विरासत में मिले नाम का कद बरकरार रखें ।।

जिनका कोई नाम नही, इतिहास नही, उनकी यहां कोई पहचान नहीं ।
इतिहास गौरवशाली लिखने को तुम, मील का पत्थर लगाना जारी रखें ।।

आने वाली पीढ़ी में हुनर खूब होगा, दिखाने का उन्हें बस अवसर मिल जाये । 
नाम बताकर अनुजों का हो जाये काम, अपने नाम में वो जान भरना जारी रखें ।।

सफर लम्बा तय करने को सुनो, रास्ते में छांव का मिलना जरूरी है ।
ठहरने को पेड़ मिल जाएं रास्ते में, इसलिए बीज बोना जारी रखें ।।

Sunday, 19 April 2020

अमीरी-गरीबी

थोड़े से पैसे क्या आये तो दुनिया में होते कई रोग पता चला,
जब गरीब थे कितने मासूम थे, हम भूख को ही रोग समझते थे।

शुगर, ब्लड प्रेशर और न जाने कितने रोग देखे,
खाने पीने के अलावा भी होते हैं खर्च हमने देखे।

सुख सुविधाओं के नाम पर एक छत हो, यही ख्वाहिश होती थी,
और आज खाली समय और नींद के सिवा सब कुछ हमारे पास है।

नंगे थे तो न जाने कैसे जिन्दगी बेखौफ जिया करते थे,
और आज ये सब खो न दें बस इसी डर में जिया करते हैं।

बेवकूफ थे तो दुनिया कैसे चलती है कोई मतलब न था,
समझने लायक हुए तो इसके हर तरीके से परेशानी थी।

वो ईश्वर है, वो इस दुनिया का मालिक है रहबर है, मेरा बचपना था,
दुनिया को चलाने वाले बैठते संसद में, ईश्वर अब मंदिरों में कहां मिलता है।

आगे बढ़ने और समझदार होने की मँहगी कीमत चुकाई है हमने,
वो सीमित संसाधनों और भोलेपन में जीना कितना अनमोल होता था।

Saturday, 18 April 2020

न्यूज़ ज़ोर गरम...

न्यूज़ जोर गरम 
मैं लाया मजेदार 
न्यूज़ जोर गरम....
न्यूज़ जोर गरम।

मेरी न्यूज़ है बेहद ब्रेकिंग,
हम हैं बेहद रिस्क टेकिंग,
सही गलत की तुम न करना टेस्टिंग,
मैं लाया तुम तक सबसे पहले....
न्यूज़ जोर गरम, 
मैं लाया मजेदार 
न्यूज़ जोर गरम।

इस न्यूज़ का अब डालेंगे अचार, 
देखो हम लाए टीवी पर नेता चार,
आज़ादी से लेकर आज तक पूरी चर्चा करेंगें,
इस खबर पर हम अपनी रोटी सेंकेंगे....
ये न्यूज़ इतनी गरम 
मैं लाया मजेदार 
न्यूज़ जोर गरम।

चैनल हो गए हैं प्रेशर कुकर,
और चढ़ा कर इसे घटना की आंच पर,
मसाले डाल दिए हिन्दू मुसलमान के और लगने दी सीटी,
लो हो गई गरमा-गरम खबर तैयार....
तुम भी चख लो
मैं लाया मजेदार 
न्यूज़ जोर गरम।

कलाकार हम बेहद उम्दा, टेक्नोलॉजी का प्रयोग है धाँसू,
जिन्दा आदमी से लेकर एनीमेशन तक का प्रयोग है फाड़ू,
हमने तो कार्टूनों को भी मुस्लिम टोपी पहनाई है,
तब जाकर हमारे न्यूज़ चैनल में जान आई है,
बिरला सीमेन्ट से भी जानदार  
मैं लाया मजेदार 
न्यूज़ जोर गरम।

विशेषज्ञ हर क्षेत्र के, हम सा कोई न दूजा,
हमने तो मंगल ग्रह पर पानी भी है खोजा,
इंजीनियर डॉक्टर अकाउंटेंट क्या ही जाने,
हमने तो आई०सी०यू० में घुसकर छुड़ाए सबके पसीने....
विशेषज्ञ हम हरफनमौला
मैं लाया मजेदार 
न्यूज़ जोर गरम।

हम चाहें तो तुमको स्टार बन दें,
लगाकर आरोप आरोपी बना दें,
प्रश्न पूछकर हम तो आगे निकल गए,
उलझना मत, हम कितनों को निगल गए,
सच झूठ से मतलब नही बस न्यूज़ जोर गरम 
मैं लाया मजेदार 
न्यूज़ जोर गरम।

न्यूज़ में न्यूज़ के अलावा सब कुछ,
चुप-चाप देख तू कोई प्रश्न न पूँछ,
दो मिनट की न्यूज़ को घंटे भर जो चलाना है,
हमें तो एकता कपूर को भी नौटंकी में पानी भराना है....
एक्टर हम सुपरस्टार
मैं लाया मजेदार 
न्यूज़ जोर गरम।

ये तो शुद्ध बिजनेस है, खबर नही ये सुर्ख,
इस पर जो विश्वास करो, तो तुम निरा मूर्ख,
ढंग की खबर दूरदर्शन पर सुबह शाम आती थी,
इतनी तो घटनाएँ नही जितनी न्यूज़ अब आती है,
बोर न हो जाओ तुम इसीलिए न्यूज़ जोर गरम 
मैं लाया मजेदार 
न्यूज़ जोर गरम।