Sunday 19 April 2020

अमीरी-गरीबी

थोड़े से पैसे क्या आये तो दुनिया में होते कई रोग पता चला,
जब गरीब थे कितने मासूम थे, हम भूख को ही रोग समझते थे।

शुगर, ब्लड प्रेशर और न जाने कितने रोग देखे,
खाने पीने के अलावा भी होते हैं खर्च हमने देखे।

सुख सुविधाओं के नाम पर एक छत हो, यही ख्वाहिश होती थी,
और आज खाली समय और नींद के सिवा सब कुछ हमारे पास है।

नंगे थे तो न जाने कैसे जिन्दगी बेखौफ जिया करते थे,
और आज ये सब खो न दें बस इसी डर में जिया करते हैं।

बेवकूफ थे तो दुनिया कैसे चलती है कोई मतलब न था,
समझने लायक हुए तो इसके हर तरीके से परेशानी थी।

वो ईश्वर है, वो इस दुनिया का मालिक है रहबर है, मेरा बचपना था,
दुनिया को चलाने वाले बैठते संसद में, ईश्वर अब मंदिरों में कहां मिलता है।

आगे बढ़ने और समझदार होने की मँहगी कीमत चुकाई है हमने,
वो सीमित संसाधनों और भोलेपन में जीना कितना अनमोल होता था।

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