Wednesday, 29 April 2020

सरकारी कर्मचारी...

वैज्ञानिक परेशान हो गए मगर देखो 
बिना तेल के गाड़ी वो चला न पाए।
हमने भी दिया सुझाव अपने दोनो हाथ उठाय,
आओ तुमको अपनी सरकर से मिलवाया जाय।

उदाहरण साक्षात तुम्हारे मौजूद है,
तुम कहाँ घूम रहे हो सर खुजलाए।
बिना अतिरिक्त वेतन के इस सरकार ने,
सरकारी कर्मचारियों से कितने काम कराए।

न ही धन्धा कोई और न ही हम बड़े व्यापारी हैं, 
महीने की तनख़्वाह पर जीते हम सरकारी कर्मचारी हैं।
किस्तें भरते, फ़ीस भरते, थोड़ी-थोड़ी बचत भी करते,
सालों का हमने बचाया नही हम तो बस महीनों में जीते।

डीए काटा, भत्ते काटे,और न जाने क्या-२ कटेगा,
तनख़्वाह भी बढ़ेगी या केवल चूतिया ही कटेगा।
थोड़ी क्यूँ पूरी ही काट ली जाए, सैलरी हमें दी ही क्यूँ जाए,
आओ छोड़ कर गृहस्थ आश्रम हम सब वनवासी हो जाएँ ।

क़सम से उफ़्फ़ नही करेंगे अगर,
एक छोटी सी अर्ज़ सुन ली जाए ।
जहाँ सबके क़र्ज़ अरबों में माफ़ हो रहे 
वहीं एक लोन हमारा भी माफ़ हो जाए।

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