Monday, 8 June 2020

रिक्त ...!

रिक्त हूँ
व्याकुल भी 
कुछ पाना भी है
है सब हासिल भी।

शब्द ढेरों हैं
हैं भाव भी
लयबद्ध करने को 
रात अकेली भी।

समझ नही आता कैसे
और कहां से शुरू करूँ
लिखूँ क्या अब 
सोचती कलम भी।

पाने की बात क्या करना
मुश्किल है अब सोचना भी
तुझको बाँधना है कठिन मेरे लिए 
अब कविताओं में भी।

Thursday, 4 June 2020

सबक! बेवजह.....

तारीख़ मुक़र्रर कर दो सजा की मेरी,
अब मुझसे और इंतज़ार नही होता।

अब तो दम घुटता है मेरा मेरी बेगुनाही से,
गुनाह करता तो शायद इतना न परेशान होता।

दरिया क्या ही गहरा होगा, कोई तो छोर होगा!
ये शब्दों के मतलबों का अब किनारा नही मिलता। 

देखो समय है अभी संभल जाओ ऐ लाल कलम वालों,
इक समझदार का बेवक़ूफ साबित होना, अच्छा नहीं होता।

वक़्त है ये ,आज तुम्हारा है तो कल मेरा भी आएगा,
पैसा, ताक़त, ग़ुरूर और समय किसी का सगा नही होता।

Sunday, 24 May 2020

ईद मुबारक 💐

चाँद की दीद मुबारक,
सभी को ईद मुबारक ।

कोरोना में दो गज की दूरी बनी रहे,
मगर दिलों की दूरी में कमी बनी रहे।

अब तुमको और क्या बताएँ यार सामने कितनी बड़ी मजबूरी है,
अगली ईद पर तुमसे गले मिल सकें इसलिए इस बार ये दूरी है। 

क्या हुवा जो इस बार हम तुम गले न मिल सके ,
इस बार तेरे नाम की सिवई हमारी रसोई में ही पके ।

सिंवई इस बार हम थोड़ा ज़्यादा मीठी बनाएँगे, 
तेरे मेरे रिश्ते की मिठास हम कुछ यूँ बढ़ायेंगे । 

ईद मुबारक ......

Wednesday, 20 May 2020

विरह...

डबडबायी आंखों को लेकर 
मैं कैसे कुछ बोल दूँ?
देखो! तुम सामने न आना,
कहीं मैं फूट कर रो न दूँ.....

परेशान बहुत हूँ,
कुछ भी समझ नही आ रहा.....
ये समय क्यूँ आया?
जो तुझसे दूर ले जा रहा.....

जो दिखती नहीं तेरे मेरे दरमियाँ,
वो डोर बेहद मजबूत है.....
स्पर्श करने को तुझे,
मेरी ये दो आँखे बहुत हैं.....

जो भी बीता संग तेरे,
वो लम्हे सब याद आएँगें.....
पाने की चाहतें तो नहीं,
पर तुझे देखना जरूर चाहेंगे.....

Tuesday, 19 May 2020

सुनो न !

सुनो न !
ये सूनसान सड़क देख रहे हो!
इस सन्नाटे को सुनो जरा,
मैं बिल्कुल ऐसा ही होता हूँ,
जब तुम पास होते हो !
बिल्कुल शांत, बेहद शांत।

इस स्याह रात में मैं,
इस मद्धम सी रोशनी में भीगता,
तुमको महसूस करता!
रुई सी छुवन को तुम्हारे,
अपनी सिहरन में कैद करता।

कितनी मुफ़ीद जगह है न ये,
हमारे मिलने के लिए!
आ जाओ टहलते हैं दोनों,
बिना कुछ बोले,
लेकर हाथों में हाथ।

दिल में उठते ख्यालों को,
हम उँगलियों से महसूस करते।
दिल की धड़कनों की कहानी,
हम चहल-कदमियोँ से बयाँ करते।
हम दोनों मुस्करा देते!

देखो आए तो हो तुम,
मगर जाने की बात न करना।
इस खूबसूरत माहौल में तुम
आज गले से लगा कर ही रखना।
समय को रोक लिया है मैने!
देखो न!
तुम भी,
ठहर जाओ न!

सुनो न.....!

~अनुनाद, १९.०५.२०२०

Sunday, 17 May 2020

साथी हाथ बढ़ाना…

कोई दुख में हो तो उसे सुख की आस न दें!
बस अपना साथ दें....
दिख जाए जरूरतमंद कोई अगर तो आगे बढ़कर,
बस अपना हाथ दें....
जो दिख जाए आंखों में बेबसी के आंसू, तू उन्हें,
छलकने से रोक दे....
दौर मुश्किल है तेरे लिए भी, मेरे लिए भी !
सब्र रख और समय दे....
अकेला नही है तू, लोग बहुत मिलेंगें, आगे बढ़!
अपनी सोच को आयाम दें...
सफर कठिन है और तेरे पैर कमजोर! ठान कर,
तू बस पहला कदम दे....



Saturday, 16 May 2020

कोरोना काल का ज्ञान ...

रहने को ख़ुश दुनिया के कितने ही साधन ढूंढ़ता रहा,
खो दी शान्ति और जोड़-तोड़ गुणा-भाग ही करता रहा।

पढ़ो लिखो आगे बढ़ो ख़ूब नाम कमाओ का यहाँ मतलब सीधा था, 
ख़ूब पैसा कमाना ख़ुशियाँ पाने का तरीका यहाँ बिल्कुल सीधा था।

एक उम्र बीत गयी और देखो सारा सीखा हुआ ही ग़लत था,
एक त्रासदी ने देखो हमें जीवन का मतलब सही सिखाया था।

सफ़र ज़िंदगी का लम्बा और थकाऊ तुम ध्यान रखो,
मज़ा जो लेना हो यहाँ तो साथ में सामान कम रखो।

मुट्ठी बड़ी ज़ोर की बाँधी थी पर देखो जब से है ये खुली ,
पाने से ज़्यादा ख़ुशी तो आनंद लोगों को बाँटने में मिली ।