Sunday, 14 June 2020

The library and you!

Smell of book
And 
Smell of you 
Can loot me
In a few.
See the tragedy,
You are in library, 
Just in front of me.
Hey god of love
I'm losing myself
Please Control me.
There must be a notice 
Outside of library
The combination is not allowed
The library and you.

रेडियो एक्टिव !

तुम्हारे तन पर साड़ी 
लिपटी हो जैसे नागिन,
अदाओं ने तुम्हारी ओढ़कर इसे
जहरीला और कर दिया।

साड़ी पहनना चाहते सभी पर 
जन्मी है ये केवल तुम्हारे लिए,
हुनर और सलीके ने तुम्हारे आज
इस अधूरी को पूरा कर दिया।

देखो न आया करो सामने इस कलेवर में
हम अपनी जान की आज दुआ मांगते हैं,
रेडियो एक्टिव आप पहले ही क्या कम थीं
जो आज रेडिएशन का लेवल इतना अधिक कर दिया।

हम तो बस यही सोचकर परेशान हैं
दिल के मरीजों का हाल अब क्या होगा,
न्यूक्लियर हथियारों पर तो रोक-टोक है
पर आपको रोकने का इंतजाम क्या होगा।

Thursday, 11 June 2020

पागलपन

तेरे उसके पास रहने से न जाने उसे क्यूँ डर सा लगता था
उसके अंदर का एक शख़्श बड़ा कमजोर महसूस करता था।

लग गयी थी आदत तेरी वो तुझे रोज दोहराता था,
कमबख़्त कुछ भी हो वो तेरा इन्तज़ार करता था ।

तेरे साथ न होने का उसको बड़ा मलाल रहता था,
खुद से परेशान होकर वो हज़ारों सवाल करता था ।

अच्छा हुआ जो तू चला गया, बिन बताए, हमेशा के लिए,
अब पता चला उसके अंदर एक शख़्श बेहद मजबूत रहता है।

इत्तफ़ाक से आज ख्वाब में तुम थे और नींद खुल गई उसकी,
पागल मिलने की ख़ातिर वो सोने की कोशिश बार-२ करता है।

Monday, 8 June 2020

रिक्त ...!

रिक्त हूँ
व्याकुल भी 
कुछ पाना भी है
है सब हासिल भी।

शब्द ढेरों हैं
हैं भाव भी
लयबद्ध करने को 
रात अकेली भी।

समझ नही आता कैसे
और कहां से शुरू करूँ
लिखूँ क्या अब 
सोचती कलम भी।

पाने की बात क्या करना
मुश्किल है अब सोचना भी
तुझको बाँधना है कठिन मेरे लिए 
अब कविताओं में भी।

Thursday, 4 June 2020

सबक! बेवजह.....

तारीख़ मुक़र्रर कर दो सजा की मेरी,
अब मुझसे और इंतज़ार नही होता।

अब तो दम घुटता है मेरा मेरी बेगुनाही से,
गुनाह करता तो शायद इतना न परेशान होता।

दरिया क्या ही गहरा होगा, कोई तो छोर होगा!
ये शब्दों के मतलबों का अब किनारा नही मिलता। 

देखो समय है अभी संभल जाओ ऐ लाल कलम वालों,
इक समझदार का बेवक़ूफ साबित होना, अच्छा नहीं होता।

वक़्त है ये ,आज तुम्हारा है तो कल मेरा भी आएगा,
पैसा, ताक़त, ग़ुरूर और समय किसी का सगा नही होता।

Sunday, 24 May 2020

ईद मुबारक 💐

चाँद की दीद मुबारक,
सभी को ईद मुबारक ।

कोरोना में दो गज की दूरी बनी रहे,
मगर दिलों की दूरी में कमी बनी रहे।

अब तुमको और क्या बताएँ यार सामने कितनी बड़ी मजबूरी है,
अगली ईद पर तुमसे गले मिल सकें इसलिए इस बार ये दूरी है। 

क्या हुवा जो इस बार हम तुम गले न मिल सके ,
इस बार तेरे नाम की सिवई हमारी रसोई में ही पके ।

सिंवई इस बार हम थोड़ा ज़्यादा मीठी बनाएँगे, 
तेरे मेरे रिश्ते की मिठास हम कुछ यूँ बढ़ायेंगे । 

ईद मुबारक ......

Wednesday, 20 May 2020

विरह...

डबडबायी आंखों को लेकर 
मैं कैसे कुछ बोल दूँ?
देखो! तुम सामने न आना,
कहीं मैं फूट कर रो न दूँ.....

परेशान बहुत हूँ,
कुछ भी समझ नही आ रहा.....
ये समय क्यूँ आया?
जो तुझसे दूर ले जा रहा.....

जो दिखती नहीं तेरे मेरे दरमियाँ,
वो डोर बेहद मजबूत है.....
स्पर्श करने को तुझे,
मेरी ये दो आँखे बहुत हैं.....

जो भी बीता संग तेरे,
वो लम्हे सब याद आएँगें.....
पाने की चाहतें तो नहीं,
पर तुझे देखना जरूर चाहेंगे.....