Monday, 5 October 2020
Wednesday, 30 September 2020
आधी रात और चाँद
आज फिर आ गई तेरी याद......
और हमने निहार लिया चाँद....!
जिस तरह कैद है तेरी अदाएँ मेरी इन आँखों में,
हमने उसी तरह कैद कर लिया चाँद को कैमरे में।
कुछ पल तेरे साथ होने का एहसास पा लिया,
संग चाँद के हमने एक लम्हा अकेले गुजार लिया।
आधी रात है और मेरे साथ ऐसे तुम्हारी याद है,
डालियों की झुरमुट से जैसे निहारता ये चाँद है।
देखो ये चाँद इतनी दूर होकर भी लगता कितना पास है,
और तू दिल के इतनी करीब होकर भी रहती कितनी दूर है।
क्या ही करें और क्या ही कहें तुम्हारी इस बेवक़्त याद से,
चलो कर लेते हैं कुछ शिकायतें आधी रात को इस चाँद से।
©️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/३०.०९.२०२०
Saturday, 26 September 2020
तोहफा
गिफ्ट मिलना किसे नहीं पसन्द? मुझे बहुत अच्छा लगता है, जब कोई कुछ गिफ्ट कर दे। सामान्यतः आदमी लोगों के पास गिफ्ट के विकल्प कम हैं। महिलाओं के पास ज्यादा है। अब गिफ्ट में आदमी लोगों को जूता-चप्पल, घड़ी, वॉलेट, बेल्ट, सीकड़, अंगूठी या फिर गॉगल...........! सोमरस की बोतल भी गिनी जा सकती है😜। जूता-चप्पल सबसे पहले आया है, इससे घबराएँ मत😁! डरने की बात नहीं। इससे ज्यादा और कोई विकल्प नहीं। यदि होंगे तो भी मेरे किसी काम के नहीं।
जितना भी गिफ्ट मिला है आज तक, उससे अब बोरियत सी आ चुकी है। अब गिफ्ट या गिफ्ट की विविधता से कोई खुशी नहीं मिलती। अब तो कोई भी गिफ्ट हो, बस मँहगा हो। जितना ज्यादा मँहगा उतनी ज्यादा खुशी। बस वो साथ लेकर चलने लायक हो, जैसे- मोबाइल, घड़ी, पेन इत्यादि। कोई ये कहे कि गिफ्ट की कीमत नहीं देखी जाती, देखी जाती है तो देने वाली की नीयत और मंशा! तो भैया इस जुमले का अब हम पर कोई असर नहीं होता। बकवास है ये सब।
अरे! नहीं-नहीं ! तुम मत घबराओ! तुमसे नहीं कह रहे। तुमसे तो मोहब्बत है हमें 😍 तुम बस हमें नज़र उठा कर देख भर लो ! मुस्कुरा के! हमारे लिए तो इतना ही काफी है। इतने में तो हम महीना गुज़ार लेंगे।
लेकिन वादा करो अगले महीने वाली किश्त याद रखोगे 😉🤗।
©️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२६.०९.२०२०
Thursday, 24 September 2020
आँखों की चमक!
उसके आँखों की चमक भी कुछ ऐसी होती थी....... हमसे मिलने पर!
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बारिश क्या कुछ याद नहीं दिलाती........!
©️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२४.०९.२०२०
Tuesday, 22 September 2020
बनारस तेरी याद आती है ...
बहुत दिन हुए बनारस जाने को नही मिला,
लिखने को गीत-ग़ज़ल मोहब्बत का डोज़ नहीं मिला।
छाया है अंधेरा घनघोर दिल की तंग गलियों में ,
बनारस की गलियों में तेरे संग चलने को नहीं मिला।
ये दूरियाँ दरमियाँ तेरे-मेरे अब तो समझ के बाहर हैं,
मेरे कंधे पर तेरा सर और घाट पर बैठने को न मिला।
सर पर पल्लू, आँखें बन्द और चौखट पर मत्था तेरा टेकना,
आँखे सूनी हैं कि बाबा के दरबार में चेहरा तेरा देखने को नहीं मिला।
ज़रा सा हिलने-डुलने पर भी डर लगता है ज़िंदगी के भँवर में,
गँगा में नाव के हिलने पर कब से तेरा हाथ पकड़ने को नहीं मिला।
तेरे गर्म एहसासों में पिघल कर चाहूँ मैं पूरा का पूरा तुझ में घुल जाना,
गंगा के ठंडे पानी में पैरों को डाल तेरे संग शरारत को मौका नहीं मिला।
शाम ढलती है धीरे-२ और दिल में डर बढ़ने लगता है,
जमाने हो गए तेरे संग लिंबड़ी पर चाय पीने को नहीं मिला।
दिल में लगी आग को देखो अब तो ठंड नहीं मिलती,
वी० टी० पर तेरे संग कोल्ड कॉफ़ी पीने को नहीं मिलती।
फ़साने कई हैं तेरे मेरे काग़ज़ पर लिखने को लेकिन,
इन पर चढ़ी धूल को बहुत दिनों से उतारने को नहीं मिला।
क्या बताएँ बहुत ढूँढने से भी अब रस नहीं मिला,
बहुत दिन हुए बनारस जाने को नहीं मिला ।
©️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/२२.०९.२०२०
Thursday, 17 September 2020
हम बिजली अभियन्ता.....
नौकरी करने चले थे हम सरकारी,
क्या बताएँ बस मति गयी थी मारी।
बिजली अभियन्ता हैं बिजली हम बनाते हैं,
दूर-२ तक पहुँचाते और इसे घर-२ बाँटते हैं।
हवा पानी की तरह ही भाई बिजली भी ज़रूरी है,
है मँहगी मगर सबको सस्ती मिलनी ज़रूरी है।
आवश्यक चीज़ों-सेवाओं का कभी सौदा नही किया जा सकता,
प्रगति को ज़रूरी बिजली को लाभ के लिए बेचा नहीं जा सकता।
बिजली घर-२ की ज़रूरत है, इस हक़ को छीना नहीं जा सकता,
केवल मुनाफ़ा कमाने का इसको साधन बनाया नहीं जा सकता।
जब तक भारत देश से हमारे देखो ग़रीबी नहीं मिटती,
सरकारी सहयोग से ही सबको सस्ती बिजली मिल सकती।
व्यापारी तो केवल व्यापार करने आएँगे
बिना मुनाफ़े के वो क्या ही बिजली बेच पाएँगे।
जब बिजली बन जाएगी मुनाफ़े का सौदा तो सोचिए
क्या किसी गरीब के घर कभी रोशनी हो पाएगी ?
ये बिजली है आम जन मानस का हक़ और सबको ज़रूरी है,
बिना किसी लाभ-हानि के इस पर सरकारी नियंत्रण ज़रूरी है।
माना की कमियाँ हैं अभी कुछ हम सेवा प्रदाताओं में,
तकनीक के प्रयोग से किया जा सकता है सुधार इसमें।
हम बिजली अभियंताओं ने देश हित को क़सम ये खायी है,
करने को देश सेवा हमने न जाने कितनी नौकरियाँ ठुकरायीं हैं।
है योग्यता हममे, हम आज भी अपना हित साध सकते हैं,
हम किसी कोरपोरेट या फिर देश के बाहर भी जा सकते हैं।
मगर देश भक्ति का जज़्बा लिए हम सरकारी सेवाओं में आयें हैं
समाज की भलाई को लेकर हम सब संघर्षों को गले लगाएँ हैं।
निजीकरण बर्दाश्त नहीं ये हमारे और गरीब जनता के साथ धोखा है,
देश की प्रगति में साधक बिजली को हमने ही ग़लत हाथों में जाने से रोका है।
©️~अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१७.०९.२०२०
Thursday, 3 September 2020
चाँद
आज बहुत दिनों बाद चाँद को यूँ आसमान में बालकनी से देखा। पूरा चाँद। चमकीला चाँद।अद्भुत। आकर्षक। बिल्कुल तुम्हारे चेहरे की तरह! लाखों-करोडों में एक। इस चाँद पर तो नज़र ही नहीं टिक रही..........! बिल्कुल वैसे ही जैसे तुम्हारे चेहरे पर मेरी नज़र नहीं टिकती। इतना ख़ूबसूररत और सुर्ख चेहरा कि हज़ार कोशिशों के बाद मैं तुम्हें नहीं देख पाया। फोकस ही नहीं कर पाया। कभी मैं शर्म से पानी -२ हो गया तो कभी तुम खिलखिला दिए। कभी कुछ शरारती ख्यालों ने आंखों को झुकने पर मजबूर कर दिया। तुम्हारे चेहरे और इस चाँद में यही समानता है कि मैं दोनों को ढंग से नहीं देख पाया। चाँद दूर रहता है तो स्पष्ट नहीं दिखता और तुम करीब होते हो तो खुद को संभालना मुश्किल। 😇
कोई मुझसे तुम्हारा चेहरा पूँछ ले तो मेरे लिए बताना मुश्किल। जब भी तुम्हारे चेहरे को याद करने की कोशिश की तो एक रोशनी सी आँखों में कौंध गयी और कुछ पल को अँधेरा सा छा गया। तुमको तो बस तुम्हारी तस्वीरों में ही देख पाया, सामने से देख पाना मेरे लिए मुमकिन नहीं। इसे सौभाग्य समझूँ कि तुम दिल के इतने करीब हो और दुर्भाग्य कि तुम्हारे सजीव चेहरे को देखना सम्भव नहीं। खैर......! जब भी सामने या ख्यालों में होते हो वो पल आनन्दित करने वाला होता है। एक खास एहसास, जिसे शब्दों में बयाँ नहीं कर सकता। अगर तुम मेरा हाथ पकड़ लो तो हो सकता है कि मेरे शरीर का स्पन्दन तुम्हें कुछ समझा सके!💞
खैर, आज की रात फिर तुम मेरे करीब हो। मेरे मन में हो। मेरा बालकनी में जाना और अचानक चाँद पर नज़र पड़ना, मुझे तेरी याद दिला गया और मेरा दिन सफल हो गया। तेरे साथ के एहसास से गुदगुदाते हुए आज की ये रात बहुत ही खूबसूरत होने वाली है! काश....... ये चाँद आज तुम्हारी नज़र में भी आ जाए और तुम्हें मेरी स्थिति का एहसास दिल जाए! इस तरह हम दोनों एक साथ एक ही मनःस्थिति में एक दूसरे को करीब महसूस करते हुए एक-दूजे के ख्यालों में खो जाए...... 💗
कुछ तो खास है आज की रात में! इस चाँद में! इतना सजीव एहसास कि जैसे तुम्हारे साथ ही हूँ........... कुछ माँग ही लेता हूँ! हो सकता है कि इस खास रात में दिल की ख्वाहिश पूरी हो जाए........ काश......💓💖!
~अनुनाद/आनन्द कनौजिया/०२.०९.२०२०
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