Friday, 12 February 2021

कवि या शिकारी !

शख़्श एक, भाव कई, शब्द अनेक,
शब्दों से बुनते जाल में फँसा कवि एक।

क्रोध मोह लोभ, दिल के शिकारी कई,
भावों का चारा देखकर, होते शिकार कई।

©️®️ अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१२.०२.२०२१

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