सूनी आंखों का सपना
इनमें अब कुछ भी सूना न हो
कोरे इस दिल का
कोई कोना अब कोरा न हो
टूटा हो बिखरा हो
अब यहां सब कुछ बेसलीका हो
सुलझन का हम क्या करें
छोर सभी अब उलझे उलझे हो
एक हलचल हो धड़कन में
दिल में अब कुछ सूना न हो।
©️®️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१८.०२.२०२१
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