जिस तरह से देशद्रोही, आतंकवादी और घुसपैठिए शब्दों का इस्तेमाल हमारे देश में आम हो गया है तो इसे देखकर लगता है कि जल्दी ही असली देशद्रोही, आतंकवादी और घुसपैठिए लोगों के लिए नई शब्दावली की खोज करनी पड़ेगी। वरना असली नकली में फर्क करना मुश्किल हो जाएगा। 🤓
गज़ब तो तब है जब कि न्यूज़ चैनल वाले खुलेआम आतंकियों को टी वी पर दिखा रहे हों और नेता उन पर डिबेट कर रहे हैं, फिर भी सरकार ऐसे आतंकवादियों को खुला घूमने दे रही है। 😂
अब समय आ गया है या तो नए शब्दकोष विकसित किये जाएँ या फिर देशद्रोही, आतंकवादी और घुसपैठियों को वर्गीकृत किया जाए जिससे इनमे अंतर स्पष्ट हो सके। जैसे- देशी आतंकवादी या विदेशी आतंकवादी! नहीं तो ग्रेडिंग व्यवस्था लागू हो जैसे ग्रेड 1, 2 ,3 और बोल-चाल की आम भाषा में इनका स्पष्ट प्रयोग किया जाए जिससे देश की आम जनता फर्क कर सके और कब वाकई में चिंतित होना है और कब हल्के में लेना है🤔।
एक आतंकवादी जैसा कि हमने लघु फिल्मों में टी वी के माध्यम से देखा है कि वर्षों की मेहनत के बाद आतंकवादी बन पाता था। इसके बाद जान की बाजी लगाने के बाद ही कहीं उसे आतंकवादी की उपलब्धि प्राप्त होती थी। किन्तु भारत देश में आतंकवादी शब्द का इस्तेमाल इतना आम हो गया है कि अब आतंकवादियों को भी आतंकवादी बनने का क्रेज नहीं रहा। आतंकवादी नाम की अब वो कीमत नहीं रहीं कि एक आदमी अब इसके लिए अपनी जान दे जब कि एक साधारण सा धरना देकर कोई भी आतंकवादी बन सकता है। 🤣
विचार करने वाली बात है।🤔
क्यूँ??????😏
नोट:- यह केवल हास्य-व्यंग्य से सम्बंधित लेख है। देश में चल रही वर्तमान घटनाओं से इसका परोक्ष रूप से कोई संबंध नहीं है। किसान आंदोलन जैसी घटना तो मुझे पता तक नहीं। मैं न तो सरकार विरोधी हूँ और देश विरोधी तो मैं हो ही नहीं सकता । कृपया इस लेख को अन्यथा न लें।
©️®️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/३१.०१.२०२१
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