Monday 15 February 2021

जीवन उत्सव

तुम क्या समझो यह जीवन उत्सव,
पल भर फुरसत में अपनों के साथ तो बैठो!
मंद-तीव्र भावों में चिंता नहीं अवसाद नहीं
सूखे इन चेहरों पर खिलती मुस्कान तो देखो।

पाना और संचय करना बेहद जरूरी,
मगर फकीरी अंदाज का आनन्द तो देखो!
व्यर्थ क्यों करता है तू चिंता कल की,
आओ आकर आनंद की चौपाल में बैठो।

©️®️अनुनाद/आनन्द कनौजिया/१५.०२.२०२१

No comments:

Post a Comment