Thursday 2 May 2019

चुपचाप गुज़र जाओ....

न रुको चलते जाओ
सफर कंटीला बहुत बचते जाओ
राह दुर्गम बहुत मगर बढ़ते जाओ
देख पैरों के छाले यूँ न घबराओ
नही कोई शजर कि ठहर पाओ
मत हो दुखी कि हंसते जाओ
समय लंबा इंतजार का इसका लुत्फ उठाओ
वो देखो सामने मंजिल कि कदम जरा तेज बढ़ाओ
अब खत्म सारी अड़चने कि अब ठंड पाओ
भूलकर दर्द सारे चुपचाप गुज़र जाओ।

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