इस शहर में उनके दीवाने बहुत हैं.......
कोई चक्कर हो न हो पर उन पर अपना हक़ सब ख़ूब जताते हैं ।
लोग इश्क़ में न जाने क्या क्या माँगते हैं.......
कभी हमारा पसंदीदा रंग भर पूछ लिया था उन्होंने और हम इसे ही क़िस्मत मानते हैं।
आज आए हैं वो महफ़िल में पहन कर साड़ी.......
बात करने के कितने बहाने ढूँढकर सब उनके पास जाना चाहते हैं ।
लोग कहते हैं कि इस रंग की साड़ी ख़ूब फ़बती है उन पर.......
और हम ख़ुश हैं कि वो हमारी पसंद के रंग का ख़याल ख़ूब रखते हैं।
इस मशरूफियत में भी वो हमारी तरफ देखकर मुस्कुराते हैं.......
और हम उनके मुस्कान की बारीकियों को भी शोध का विषय मानते हैं।
लोग इश्क़ में न जाने क्या-क्या माँगते हैं...
और हम इस भीड़ में उनके बग़ल से गुज़र जाने को भी क़िस्मत मानते हैं।
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